Father A Son's first Hero and
A Daughters First Love.
Happy Fathers Day
हालात से ख़ौफ़ खा रहा हूँशीशे के महल बना रहा हूँ
बड़ी हिम्मत दी उसकी जुदाई ने ना अब किसी को खोने का दुःख ना किसी को पाने की चाह।
Hum toh fanaah ho gaye uski ankhen dekh kar Ghalib,Na jane woh Aaina kaise dekhte honge.
“ज़िंदगी” की “तपिश” को
“सहन” कीजिए “जनाब”,
अक्सर वे “पौधे” “मुरझा” जाते हैं,
जिनकी “परवरिश” “छाया” में होती हैं…