कितने मूर्ख हैं
हम भगवान के बनाए फलों को भगवान को ही अर्पण करके धन दौलत माँगने लगते हैं
बेवफाई उसकी दिल से मिटा के आया हूँ,
ख़त भी उसके पानी में बहा के आया हूँ,
कोई पढ़ न ले उस बेवफा की यादों को,
इसलिए पानी में भी आग लगा कर आया हूँ
संगमरमर के महल में तेरी तस्वीर सजाऊंगा,मेरे इस दिल में ऐ सनम तेरे ख्वाब सजाऊंगा,आजमा के देख ले तेरे दिल में बस जाऊंगा,प्यार का हूँ प्यासा तेरे आगोश में सिमट जाऊॅंगा।
नए रंग हों नयी उमंगें आँखों में उल्लास नया
नए गगन को छू लेने का मन में हो विश्वास नया
नए वर्ष में चलो पुराने मौसम का हम बदलें रंग
नयी बहारें लेकर आये जीवन में मधुमास नया
नए वर्ष हार्दिक बधाई