हालात से ख़ौफ़ खा रहा हूँशीशे के महल बना रहा हूँ
Diye Hain Zindagi Ne Zaḳhm Aise;Ki Jin Ka Waqt Bhi Marham Nahin Hai!
किस लोभ से “किसान” आज भी, लेते नही विश्राम हैं,
घनघोर वर्षा में भी करते निरंतर काम हैं
शिक्षा के प्रति प्रत्येक किसान को जागरूक होना चाहिए तभी उनका जीवन बेहतर हो सकता हैं.
Hum toh fanaah ho gaye uski ankhen dekh kar Ghalib,Na jane woh Aaina kaise dekhte honge.