बेल के पत्तों से डायबिटीज को नियंत्रित किया जा सकता है।
बेल वृक्ष को सींचने से पितर तृप्त होते है।
बेल के वृक्ष और सफ़ेद आक् को जोड़े से लगाने पर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
बेल पत्र और ताम्र धातु के एक विशेष प्रयोग से ऋषि मुनि स्वर्ण धातु का उत्पादन करते थे ।
जीवन में सिर्फ एक बार और वो भी यदि भूल से भी शिवलिंग पर बेल पत्र चढ़ा दिया हो तो भी उसके सारे पाप मुक्त हो जाते है ।
वेद के अनुसार घर के सामने बेल का पेड़ नहीं लगाना चाहिए।
बेल विभिन्न प्रकार की बंजर भूमि (ऊसर, बीहड़, खादर, शुष्क एवं अर्धशुष्क) में उगाया जा सकता है।
भगवान शिव को बेलपत्र क्यों चढ़ाया जाता है?
सुबह शाम बेल वृक्ष के दर्शन मात्र से पापो का नाश होता है।
अगर किसी की शव यात्रा बेल की पेड़ की छाया से होकर गुजरे तो उसका मोक्ष हो जाता है ।
वायुमंडल की सभी अशुध्दियों को सोखने की क्षमता सबसे ज्यादा बेल के वृक्ष में होती है ।
चार पांच छः या सात पत्तो वाले बेलपत्र पाने वाला इंसान, भाग्यशाली और भगवान शिव को अर्पण करने से अनंत गुना फल मिलता है ।
बेल के वृक्ष को काटने से वंश का नाश होता है। और बेल वृक्ष लगाने से वंश की वृद्धि होती है।