जलियांवाला बाग कांड एक ऐसा कांड था जिसकी वजह से ही हमें आजादी मिल पाई है।
जलियांवाला बाग अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के पास केवल 1.3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
जलियांवाला बाग में चलने वाली गोलियों के निशान आज भी दीवारों पर देखे जा सकते हैं।
जलियांवाला बाग हत्याकांड को लेकर जनरल रेजीनॉल्ड डायर ने अपने उच्च अधिकारियों को यह बयान दिया था कि उन पर भारतीयों की एक फ़ौज ने हमला किया था जिससे बचने के लिए उसको गोलियाँ चलानी पड़ी।
वह कुआँ भी मौजूद हैं जिसमें लोग गोलीबारी से बचने के लिए कूद गए थे।
स्मारक बनाने हेतु आम जनता से चंदा इकट्ठा करके इस जमीन के मालिकों से करीब 5 लाख 65 हजार रुपए में इसे खरीदा गया था।
बैसाखी जैसे शुभ दिन पर जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ था।
जलियांवाला बाग हत्याकांड में लगभग 10 मिनट तक गोलियां चली थी।
स्मारक में लौ के रूप में एक मीनार बनाई गई है जहाँ शहीदों के नाम अंकित हैं। यह डिज़ाइनअमेरिकी वास्तुकार बेंजामिन पोल्क ने बनाई थी।
एक साधारण सा बाग जलियांवाला बाग हत्याकांड 13 अप्रैल सन् 1919 को बना। इसी दिन जलियांवाला बाग में जनरल डायर ने कई मासूम लोगों पर गोलियां चलाने का आदेश दिया था जिससे हजारों लोगों की मौत हो गई थी।
जब जलियांवाला बाग में गोलियां बरस रही थी सब लोग गोलियों से बचने के लिए वहां मौजूद कुएं में कूदने लगे थे।
जलियांवाला बाग कभी जलली नामक आदमी की संपत्ति थी।
जलियांवाला बाग हत्याकांड में एक 6- सप्ताह का बच्चा भी मारा गया था।