पुरे साल में कुल 12 शिवरात्रि होती है, जिनमे महाशिवरात्रि सबसे बड़ी मानी जाती है।
कश्मीर शैव मत में, इस त्यौहार को हर-रात्रि और बोलचाल में ‘हेराथ’ या ‘हेरथ’ भी जाता है।
महाशिवरात्रि के दिन ही माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था।
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव ने कालकूट नामक विष को अपने कंठ में रख लिया था। जो समुद्र मंथन के समय बाहर आया था।
महाशिवरात्रि शब्द का अर्थ है ‘शिव की महान रात’ ।
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष में चतुर्दशी को यह त्यौहार मनाया जाता है।
प्रलय की बेला में इस दिन प्रदोष के समय भगवान शिव तांडव करते हुए ब्रह्मांड को तीसरे नेत्र की ज्वाला से समाप्त कर देते हैं, इसीलिए इसे महाशिवरात्रि अथवा कालरात्रि कहा गया।
महाशिवरात्रि के मध्यरात्रि को भगवान शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था।
पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन सृष्टि का आरम्भ अग्निलिंग के उदय से हुआ।
महाशिवरात्रि के दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की सलामती के लिए प्रार्थना करती हैं और अविवाहित महिलाएं भगवान शिव की तरह पति के लिए प्रार्थना करती हैं