राजा राममोहन राय ने पूरी जिंदगी बाल विवाह का विरोध किया लेकिन इनका अपना विवाह छोटी उम्र में हो गया था इन्होंने विधवा पुनर्विवाह का समर्थन भी किया जबकि खुद इनकी तीन शादियां हुई थी।
राजा राममोहन राय का जन्म 22 मई 1772 को बंगाल के राधा नगर गांव में बंगाली ब्राह्मण के यहां हुआ था।
1803 से लेकर 1815 तक राजा राममोहन राय ने ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए मुंशी की नौकरी चाहिए थी।
15 साल की उम्र में राजा राममोहन राय ने पुस्तक लिखकर मूर्ति पूजा का विरोध किया था जिसकी वजह से इनको इनके परिवार वालों ने निकाल दिया था।
1816 में अंग्रेजी शब्द में “Hinduism ” शब्द का इस्तेमाल राजा राममोहन राय ने ही किया था।
मुगल शासक अकबर द्वितीय ने राजा राम मोहन राय को राजा की उपाधि दी थी जब वह उनके लिए आर्थिक मदद लेने इंग्लैंड जा रहे थे।
हिंदू होने के बावजूद भी राजा राम मोहन राय को दफनाया गया था क्योंकि उस समय इंग्लैंड में किसी के भी दाह संस्कार की अनुमति नहीं थी
2004 में बीबीसी ने बंगाल में एक सर्वे कराया था जिसमें बंगाल के आज तक के सभी महान आदमी की सूची में राजा राम मोहन राय को दसवां स्थान मिला था
सती प्रथा का विरोध करने वाले राजा राममोहन राय की सगी भाभी को उनके भाई की मौत के बाद सती प्रथा का हवाला देकर जिंदा जला दिया गया था
राजा राममोहन राय जी पर किसी भी तरह की दुनिया की घटनाओं का कोई असर नहीं होता था।