वीर सावरकर : स्वतंत्रता आंदोलन के क्रांतिकारी नेता
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एक यूथ ऑइकन हैं डॉक्टर कलाम
इस संग्रहालय को बनाने में 15 करोड़ रुपये की लागत आई और यह नौ महीने में बनकर तैयार हुआ.
यह संग्रहालय मुगल और भारतीय वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण है. इसको बनाने के लिए तमिलनाडु की सरकार ने डॉ कलाम के गांव पीकारंबू में जमीन आवंटित की थी.
संग्रहालय का मुख्य प्रवेश द्वार दिल्ली के इंडिया गेट के डिजाईन के तर्ज़ पर तैयार किया गया है. इसके पीछे के हिस्से को राष्ट्रपति भवन के मॉडल पर बनाया गया है और मुख्य द्वार तंजौर के बृहदेश्वर मंदिर के प्रवेश द्वार की प्रतिकृति है.
इसमें दिवंगत वैज्ञानिक की 900 पेंटिग्स और 200 दुर्लभ तस्वीरें हैं. संग्रहालय में कलाम की कांसे की प्रतिमा भी लगाई गई है, जिसमें वह वीणा बजाते हुए दिखाए गए है. यहाँ पर वही रॉकेट और मिसाइल के डाचे भी रखे गए है जिन पर उन्होंने काम किया था.
संग्रहालय के प्रवेश द्वार पर ‘अग्नि’ प्रक्षेपास्त्र का मॉडल लगाया गया है, जो कि अंतरिक्ष विज्ञान में उनके योगदान को दर्शाता है.
अद्वितीय राजनीतिज्ञ थे पंडित जवाहरलाल नेहरू...
Kalam was fascinated by physics and mathematics.
Kalam completed his graduation from Saint Joseph’s College, Trichurapally in 1954. In 1955, he enrolled at the Madras Institute of Technology.
Kalam missed an opportunity to become a fighter pilot for the Indian Air force. He was on the ninth spot on the list, and there were only eight openings. The first eight shortlisted candidates were recruited.
In 1960, Kalam became involved with DRDO’s Aeronautical Development Establishment.
In 1969, Kalam was made the project director for Satellite Launch Vehicles and was shifted to ISRO. The project became successful, and India, under the directorship of Kalam, was able to launch the Rohini satellite series into Earth’s orbit.
Interestingly, he was also honored with doctorates from 40 universities.
Inspired by his life, a Bollywood movie was also produced with the title, I Am Kalam.
Witnessed The IInd World War!
He served the country as the 11th President of India from 2002-07. He was India's first President who was a bachelor and a vegetarian.
You will be surprised to know that he received honorary doctorates from 48 universities and institutions from India and abroad.
He was responsible for the development and operationalisatio of Agni and Prithvi missiles, which is why he is called the 'missile man'.
Kalam was awarded the coveted civilian awards - Padma Bhushan (1981), Padma Vibhushan (1990) and the highest civilian award in India- Bharat Ratna (1997).
To support his family, Kalam used to distribute newspapers after his school hours to add to his father's income.
Kalam gave away his salary to charity
The story of his cobbler in Thiruvananthapuram
A man of little things
Rashtrapati Bhavan powered by solar energy
Kalam was a hardworking student too, who enjoyed spending hours on his studies.
His favourite subjects were Mathematics and Physics and ultimately, he took up aerospace engineering later in life.
His interest and work in aerospace engineering brought him close to India's civilian space program and military missile development efforts.
For his work on the development of ballistic missile and launch vehicle technology, Kalam came to be known as Missile Man of India.
India owes its development as a nuclear nation to Kalam's organizational and technical support for Pokhran-II nuclear tests in 1998, the first such tests after a gap of 24 years.
At ISRO, He was one of the pioneers of India's first space launch-vehicle program.
Kalam was recipient of Padma Bhushan, Padma Vibhushan and Bharat Ratna.
He was also a recipient of honorary doctorates from 40 universities.
A prolific writer, Kalam has authored around 15 books on various subjects ranging from nuclear physics to spiritual experiences.
His autobiography Wings of Fire: An Autobiography, first published in English, has been translated into 13 languages including French and Chinese.
His autobiography Wings of Fire: An Autobiography , first published in English, has been translated into 13 languages including French and Chinese.
Also, there are six additional biographies on his life and works.
अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडू के रामेश्वरम् के एक गांव में हुआ था।
अब्दुल कलाम का पूरा नाम 'अबुल पक्कीर जैनुलआबेदीन अब्दुल कलाम' था।
उनके परीवार में पांच भाई और पांच बहन थी और उनके पिता मछुआरों को बोट किराए पर देकर घर चलाते थे। उनके पिता ज्यादा पढ़े-लिखे तो नहीं थे लेकिन उंची सोच वाले व्यक्ति थे। कलाम का बचपन आर्थिक तंगी में बीता।
वे पढ़ने के बाद सुबह रामेश्वरम के रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर जाकर समाचार पत्र एकत्र करते थे। अब्दुल कलाम अखबार लेने के बाद रामेश्वरम शहर की सड़कों पर दौड़-दौड़कर सबसे पहले उसका वितरण करते थे। बचपन में ही आत्मनिर्भर बनने की तरफ उनका यह पहला कदम था।
कलाम ने अपनी आरम्भिक शिक्षा रामेश्वरम् में पूरी की, सेंट जोसेफ कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री ली और मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की।
2002 में राष्ट्रपति बनने के बाद भी उनके दरवाजे सदा आमजन के लिए खुले रहते थे। कई पत्रों का जबाव तो स्वयं अपने हाथों से लिखकर देते थे।
देश के सर्वोच्च पद यानी 11वें राष्ट्रपति की शपथ लेने के बाद उन्होंने देश के हर वैज्ञानिक का सर फक्र से ऊंचा कर दिया।
कलाम को विधार्थियों के प्रति विशेष प्रेम था। जिसे देखकर संयुक्त राष्ट्र ने उनके जन्मदिन को 'विधार्थी दिवस' के रुप में मनाने का निर्णय लिया।
मिसाइल मैन के नाम से जाने जाने वाले ए.पी.जे. अब्दुल कलाम भारतीय मिसाइल प्रोग्राम के जनक कहे जाते हैं।
अब्दुल कलाम भारत के राष्ट्र निर्माता में से एक है, उन्हें पीपुल्स प्रेसीडेंट भी कहा जाता है।
उनकी लिखी हुई पुस्तकें विंग्स ऑफ फायर, इंडिया 2020, इग्नाइटेड मांइड, माय जर्नी आदि है। अब्दुल कलाम को 48 यूनिवर्सिटी और इंस्टीट्यूशन से डाक्टरेट की उपाधि मिली है।
भारत में अब्दुल कलाम उन चुनिंदा लोगों में से जिन्हें सभी सर्वोच्च पुरस्कार मिले। 1981 में पद्म भूषण, 1990 में पद्म विभूषण, 1997 में भारत रत्न से सम्मानित हुए।
27 जुलाई 2015 को आईआईटी गुवाहटी में संबोधित करते समय उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ और देश के महान राष्ट्र निर्माता का देहांत हो गया।
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