Mr Patel was known as the "Iron Man of India" and played a significant role in persuading feuding states to unite to become part of the Indian state after independence in 1947.
At 182m (600ft), it will become the world’s tallest statue on completion beating the Spring Temple Buddha in China which is currently the world's biggest statue at 128 metres.
The statue is being built in the western state of Gujarat. It is located at the Sardar Sarovar Dam on the Narmada River. The dam itself is considered to be one of the largest structures standing at a height of 42 metres.
The statue will be able to withstand wind velocity up to 60 metres a second, vibration and earthquake.
The Statue of Unity will have a viewing gallery at 153 metres, which can accommodate up to 200 visitors at a time, and will offer an expansive view of the dam and environs.
India is spending approximately INR 2989 crore to build this statue. 22,500 Mton of cement, 5,700 Mton of structural steel, and 18,500 Mton of reinforcement bars are being used to build it.
A 128 room, 3-star hotel facility with food service, guest amenities, and conference facilities is being built next to the statue which is expected to attract tourists to the region.
More than 2,500 workers are working to get the statue ready in time, with several hundred migrant labourers from China also working along with Indian labourers to deliver on time.
Constructed at a cost of Rs. 2,989 crore, the height of the statue is 182-metres, including the base of 25 metres.
About 200 people can stand at any given point of time on a platform close to the chest of the statue.
Being the tallest statue in the world would definitely attract a lot of visitors across the globe with an expectation to attract around 10,000 tourists daily.
182 मीटर ऊंची 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है, इसके बाद चीन की स्प्रिंग टेंपल बुद्धा (153 मीटर), जापान की Ushiku Daibutsu (120 मीटर) और अमेरिका की स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी (93 मीटर) का नंबर है.
गुजरात के नर्मदा जिला के केवड़िया में ये मूर्ति स्थापित की गई है. पूरे प्रोजेक्ट पर कुल 2989 करोड़ का खर्च आया है और इसे चार साल में पूरा करने का प्लान था.
लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की इस प्रतिमा के लिए 'लोहा दान' कैंपेन चलाया गया था. देश के कई कोने-कोने से आम लोगों से लोहा दान में मांगा गया था. जिसे पिघला कर प्रतिमा को बनाने में इस्तेमाल किया गया.
'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' को बनाने में 5,700 मीट्रिक टन यानी करीब 57 लाख किलोग्राम स्ट्रक्चरल स्टील का इस्तेमाल हुआ. साथ ही 18,500 मीट्रिक टन छड़ भी इसमें लगा है.
प्रतिमा को बनाने के लिए 2 करोड़ 25 लाख किलोग्राम सीमेंट का इस्तेमाल किया गया.
'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' को ऐसे डिजाइन किया गया है कि भूकंप का झटका या 60 मीटर/सेकेंड जितनी हवा की रफ्तार भी इस प्रतिमा को नुकसान नहीं पहुंचा सकती.
'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' के पास दर्शकों के लिए 153 मीटर लंबी गैलरी बनाई गई है, जिसमें एक साथ 200 विजिटर आ सकते हैं. प्रतिमा को बनाने के लिए 42 महीने का समय तय था और ये साफ तौर पर तय था कि ये तारीख आगे नहीं बढ़ेगी.
आदिवासी शिकायत कर रहे हैं कि उनकी जमीनें 'सरदार सरोवर नर्मदा प्रोजेक्ट', उसके नजदीक बन रहे 'स्टेच्यू ऑफ यूनिटी', और दूसरे पर्यटन गतिविधियों के लिए ले ली गई हैं.
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के ऊपरी हिस्से में 306 मीटर पैदल पथ को पूरी तरह से मार्बल से तैयार किया गया है.
कंस्ट्रक्शन कंपनी लार्सन एंड टूर्बो (L&T) ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी प्रोजेक्ट को दिसंबर 2014 में शुरू किया था, इस प्रोजेक्ट में प्रतिमा के साथ ही साथ यहां एक म्यूजियम में सरदार पटेल के जीवन से जुड़ी घटनाओं पर लाइट एंड साउंड शो भी होगा.