वो रो रो कर कहती रही मुझे नफरत है तुमसे, मगर एक सवाल आज भी परेशान किये हुए है, की अगर नफरत ही थी तो वो इतना रोई क्यों …
विश्वास रखो उस भगवान् पे
कभी ज्यादा मांगो नहीं
कम वो कभी देगा नहीं
जिंदगी एक फूल है
तो मोहब्बत उसकी खुशबू है
प्यार एक दरिया है
तो महबूब उसका साहिल है अगर
जिंदगी एक दर्द है तो दोस्त उसकी दवा है
ना ठुकरा मेरी दोस्ती मुझे गरीब समज कर ए दोस्त,
यह दौलत वाले खरीदार तो होते है,
लेकिन वफादार नही
दर्द दे कर इश्क़ ने हमे रुला दिया,
जिस पर मरते थे उसने ही हमे भुला दिया,
हम तो उनकी यादों में ही जी लेते थे,
मगर उन्होने तो यादों में ही ज़हेर मिला दिया.