जब छोटे थे तब बड़े होने की बड़ी चाहत थी ! पर अब पता चला कि : अधूरे एहसास और टूटे सपनों से, अधूरे होमवर्क और टूटे खिलौने अच्छे थे !
ना छेड किस्सा-ए-उल्फत, बडी लम्बी कहानी है,
मैं ज़माने से नहीं हारा, किसी की बात मानी है,,,,,,।।
जब कोई पटाखा थोडा सा जलकर फुस्स हो जाता है तो उसे पैर से कुचल कर कुछ लोग ऐसे फील लेते है जैसे टाइम बम defuse करके दुनिया को बचा लिया हो....
कुछ इस तरह से वफ़ा की मिसाल देता हूँ
सवाल करता है कोई तो टाल देता हूँ
उसी से खाता हूँ अक्सर फरेब मंजिल का
मैं जिसके पाँव से काँटा निकाल देता हु …
तुम समझ लेना बेवफा मुझको, मै तुम्हे मगरूर मान लूँगा
ये वजह अच्छी होगी , एक दूसरे को भूल जाने के लिये