माता-पिता अपनी बिटिया के लिए सुयोग्य वर खोजते समय दो बातों का ख्याल रखते हैं, एक तो लड़का खाते पीते घर का हो दूसरा वह पीता खाता न हो
उसी का शहर, वही मुद्दई, वही मुंसिफ
हमीं यकीन था, हमारा कुसूर निकलेगा
यकीन न आये तो एक बार पूछ कर देखो
जो हंस रहा है वोह ज़ख्मों से चूर निकलेगा
एक बस का एक्सिडेंट हो गया ,,
,
ड्राइवर , जोर जोर से रो रहा था ,,
हाय मेरा हाथ कट गया ,बहुत दर्द हो रहा है ,
पप्पू:- चुप कर साले ,उसे देख उसका तो सिर कट गया ,
फिर भी देख कैसे चुपचाप पड़ा है
यहाँ खुदा है, वहाँ खुदा है
आस पास खुदा ही खुदा है
जहाँ खुदा नहीं है, वहाँ कल खुदेगा
--नगरपालिका--
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मचल के जब भी आँखों से छलक जाते हैं दो आँसू ,सुना है आबशारों को बड़ी तकलीफ़ होती है|
खुदारा अब तो बुझ जाने दो इस जलती हुई लौ को ,चरागों से मज़ारों को बड़ी तकलीफ़ होती है| कहू क्या वो बड़ी मासूमियत से पूछ बैठे है ,क्या सचमुच दिल के मारों को बड़ी तकलीफ़ होती है|
तुम्हारा क्या तुम्हें तो राह दे देते हैं काँटे भी ,मगर हम खांकसारों को बड़ी तकलीफ़ होती है|