इस गर्मी का आलम बस ...इतना समझ ले ग़ालिब....कपडे धोते ही सुख जाते है ।और पहनते ही गीले हो जाते है ।।
लम्हे वो कुछ खास होते है…तू जो मेरे पास होती है…बाहों में तेरा कुछ होता ऐसा एहसास है..डेरी मिल्क और पार्क की जो मिठास है…!
Najroon Kii Juban Wo Samajh Nahii Paate..,
Honth Hamaare Kuch Keh Nahii Paate .
Dil Apni Majboorii Bataayee Kese.
Koi Hy Jin Kee Binaa Hum Reh Nahii Paate…
Labo se tut gaye guftagu ke sab rishte
wo dekhta hei to bas dekhta hi rahta hei..
लड़की – बाबा मुझे तो सर्दी में भी गर्मी लगती है
निर्मल बाबा – बेटी पराठे खाती हो क्या ?
लड़की – हां
निर्मल बाबा – कौन से तेल में बनाती हो ?
लड़की – रिफाइंड में
निर्मल बाबा – बस यही तो दिक्कत है
नवरत्न तेल में बनाया करो
कृपा आनी शुरू हो जायेगी
ठंडा ठंडा कूल कूल