मोहब्बत ना सही, मुकदमा ही कर दे मुझ पर, कम से कम तारीख दर तारीख मुलाकात तो होगी...!!
उसी का शहर, वही मुद्दई, वही मुंसिफ
हमीं यकीन था, हमारा कुसूर निकलेगा
यकीन न आये तो एक बार पूछ कर देखो
जो हंस रहा है वोह ज़ख्मों से चूर निकलेगा
मचल के जब भी आँखों से छलक जाते हैं दो आँसू सुना है आबशारों को बड़ी तकलीफ़ होती है
खुदारा अब तो बुझ जाने दो इस जलती हुई लौ को चरागों से मज़ारों को बड़ी तकलीफ़ होती है कहू क्या वो बड़ी मासूमियत से पूछ बैठे है क्या सचमुच दिल के मारों को बड़ी तकलीफ़ होती है
तुम्हारा क्या तुम्हें तो राह दे देते हैं काँटे भी मगर हम खांकसारों को बड़ी तकलीफ़ होती है
मै खुद लिखता हूँ मोहब्बत
तुम आइने को संवार लो
मै अपनी खुशबु बिखेर देता हूँ
तुम अपनी जुल्फों को सवार लो
नए साल की आने वाली हर शाम सिर्फ तेरे ही नाम,
होगी चाहत की एक अलग मुकाम,
करेंगे मोहब्बत तुमसे सुबह शाम।
HAPPY NEW YEAR 2021