मेरी मान डेंगू का कोर्स कर ले और दिल्ली निकल जा.. मलेरिया में कुछ नहीं रखा अब..जी पापा जी
दिल अब बस तुझे ही चाहता है,तेरी यादों में ये खो जाता है,लग गयी है इस में इश्क की आग ऐसी.के तेरे होंठो को चुमने को दिल चाहता है.
आहिस्ता आहिस्ता कीजिये कत्ल मेरे अरमानों का……
कहीं सपनों से लोगों का ऐतबार ना उठ जाए..
मेरी बहादुरी के किस्से कितने मशहूर थे इस शहर में,
पर तुझे खो जाने के डर ने मुझे कायर बना दिया...
नीम के पेड़ को अगर दूध और घी से भी सींचा जाये
तो भी नीम का वृक्ष मीठा नहीं हो जाता,
उसी प्रकार दुष्ट व्यक्ति को कितना भी ज्ञान दे दो
वो अपनी दुष्टता नहीं त्यागता..