अच्छा-खासा ध्यान पढ़ाई पर लगाने की सोच रहा था.....अंबानी ने जियो सिम की शुरूआत करके फिर सत्यनाश कर दिया...
इसी कशमकश में गुजर जाता है दिन
कि तुमसे बात करूं
या तुम्हारी बात करूं
आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा
कश्ती के मुसाफिर ने समंदर नहीं देखा
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला
मैं मोम हूँ उसने मुझे छू कर नहीं देखा
अगर सरकार ताजमहल में गुटखा थूकने की मंजूरी दे दे... तो.... माँ कसम लोग उसे 5G की स्पीड से लालकिला बना देंगे...
परेशानी का कोई पैमाना नही होता"साहब"..कुछ लोग तो यही सोचकर परेशान रहते हैये सामने वाला दिनभर मोबाइल में करता क्या है!