कुछ तो था उसके होठो पर ना जाने हम से क्यों शरमाती थी, एक दिन हँसी तो पता चला नालायक तंबाखू खाती थी|
Ummidon ki manzil de gayi,Khwabon ki duniya be gayi,Abe teri kya izzat reh gayi,Jab ek zakkas item tere ko RAKHI pehna gayi...
आज हम भी एक नेक काम कर आए,
दिल की वसीयत किसी के नाम कर आए,
प्यार हैं उनसे ये जानते हैं वो……,
मज़बूरी थी जो झुकी नज़रों से इनकार कर आए
जो लोग दूसरों का भला सोचते हैं
केवल उन्हीं का जीवन सफल है,
अपने लिए तो जानवर भी जीते हैं
Vo samjhta hai ki har shakhs badal jata hai…..
Ussey lagta hai zamana us ke jaisa hai….