मुझको ढूंढ लेती है रोज़ एक नए बहाने से
तेरी याद वाक़िफ़ हो गयी है मेरे हर ठिकाने से
इस तरह मिली वो मुझे सालों के बाद,
जैसे हक़ीक़त मिली हो ख़यालों के बाद,
मैं पूछता रहा उस से ख़तायें अपनी,
वो बहुत रोई मेरे सवालों के बाद!!
उलझा रही है मुझको,यही कश्मकश आजकल..!!तू आ बसी है मुझमें,या मैं तुझमें कहीं खो गया हूँ??
उलझा रही है मुझको,
यही कश्मकश आजकल..!!
तू आ बसी है मुझमें,
या मैं तुझमें कहीं खो गया हूँ??
इस नये साल मे खुशियों की बरसाते हो,प्यार के दिन और मोहब्बत भरी राते हो,रंजिशे नफ़रते मिट जाए सदा के लिए,सभी के दिलो में ऐसी चाहतें हो!!