अगर "कुबूल कुबूल कुबूल" बोलने से शादी हो जाती है और "तलाक़ तलाक़ तलाक़" बोलने से तलाक़ हो जाती है तो "मरजा मरजा मरजा" भी काम करना चाहिए...
मैं आप उस इंसान को ढूंढ रहे हैं
जो आके आपकी मदद करेगा
तो शीशे के सामने खड़े हो जाएँ
आपको वो इंसान नजर आएगा
जो आपकी मदद कर सकता है
वक़्त भी लेता है करवटें कैसी कैसी,
इतनी तो उम्र भी ना थी जितने सबक सीख लिए हमने..
बुराई को देखना और सुनना ही
बुराई की शुरुआत है
कुछ अल्फ़ाज़ की तरतीब से बनती है शायरी
कुछ चेहरे भी मुकम्मल ग़ज़ल हुआ करते हैं