चलो आज खामोश प्यार को इक नाम दे दें,अपनी मुहब्बत को इक प्यारा अंज़ाम दे देंइससे पहले कहीं रूठ न जाएँ मौसम अपनेधड़कते हुए अरमानों एक सुरमई शाम दे दें !
दिल दिया था जिसको दीवानी समझ कर,खा गयी वो ब्रियानी समझ कर,एक कतरा भी ना छोड़ा खून का,पी गयी उसको भी निम्बू पानी समझ कर ||
तकदीर के हाथों खुद को में जोड़ना नहीं चाहता,
मेरे दो हाथो का होसला में तोडना नहीं चाहता,
मौसम की तरह बदल जाती ये हाथो की लकीरें,
बंद मुट्ठी मेरी हरगिज़ मैं खोलना नहीं चाहता।
पाकिस्तान में गणित का सवाल.हसन के पास 2 टिफीन है. एक वो महमूद को और दूसरा अल्ताफ को देता है.धमाके का क्षेत्रफल और मृतकों की संख्या बताए?
बंदा नहीं है कोई टक्कर
का आज की तारीख में,
इसीलिए लफ्ज कम पड़
जाते है हमारी तारीफ़ में..!!