फितूर होता है हर उम्र में जुदा-जुदा..खिलोने, मासूका, रुतबा और खुदा
अपने साये से भी अश्कों को छुपा कर रोना
जब भी रोना तो चिरागों को बुझा कर रोना
जहाँ चोट खाना वहां मुस्कुराना
मगर इस अदा से के रोये सारा ज़माना
हमसे ना कट सकेगा अंधेरो का ये सफर
अब शाम हो रही हे मेरा हाथ थाम लो।
लड़की – क्या कर रहे हो?
लड़का – मूंगफली खा रहा हूँ।
लड़की – Haww! अकेले अकेले,
लड़का – अब 10 रूपये की मूंगफली में भण्डारा करू क्या….!!
मैंने दबी आवाज़ में पूछा - "मुहब्बत करने लगी हो?"नज़रें झुका कर वो बोली - "बहुत"