आज का ज्ञान अकेला आदमी परिवर्तन लाता है और शादीशुदा सब्जी
ठण्ड में वादा नही करते कि दोस्ती निभायेंगे,
जरूरत पड़ी तो सब कुछ ले लो,
पर रजाई न दे पायेंगे....
लोगों ने कुछ दिया
तो सुनाया भी बहुत है,
हे माँ दुर्गे !
एक तेरा ही दर है
जहाँ मुझे कभी ताना नहीं मिला
अब ये हसरत है कि सीने से लगाकर तुझकोइस क़दर रोऊँ की आंसू आ जाये
हाथ में घडी कोई भी हो, लेकिन वक़्त अपना होना चाहिए