सपनों की मंज़िल पास नहीं होती,ज़िंदगी हर पल उदास नहीं होती,ख़ुदा पे यकीन रखना मेरे दोस्त,कभी-कभी वो भी मिल जाता है जिसकी आस नही होती..
मेरे बारे में अपनी सोच को थोड़ा बदलकर देख,
मुझसे भी बुरे हैं लोग तू घर से निकलकर देख…!
तूने रुख से नक़ाब क्या उठाया,
कम्बखत दिल मुँह को होने लगा,
शर्मा कर , सितारे हैं छुपने लगे,
महताब बादलों से जो निकलने लगा
बड़ी हिम्मत दी उसकी जुदाई ने ना अब किसी को खोने का दुःख ना किसी को पाने की चाह।
वर्षों से दहलीज़ पर कड़ी वो मुस्कान है,
जो हमारे कानो में धीरे से कहती है,
“सब अच्छा होगा”