आंसुओं की बूँदें हैं या आँखों की नमी है,न ऊपर आसमां है न नीचे ज़मी है,यह कैसा मोड़ है ज़िन्दगी का,उसी की ज़रूरत है और उसी की कमी है..
बिना कुछ किये ज़िन्दगी गुज़ार देने से कहीं अच्छा है
ज़िन्दगी को गलतियां करते गुज़ार देना
जिस प्रभात से, परमात्मा का स्मरण हो जाये,
वह प्रभात, सुप्रभात हो जाता है।
दिल की एक ही ख़्वाहिश हैं..
धड़कनों की एक ही इच्छा हैं..
के तुम मुझे अपनी बाहों में पनाह दे दो,
और में खो जाओ...
“जिसे पूजा था हमने वो खुदा तो न बन सका,
हम ईबादत करते करते फकीर हो गए…!!!