तेरी मोहब्बत में और मेरी फितरत में फर्क इतना ही है की......तेरा Attitude नहीं जाता और मुझे झुकना नहीं आता|
तुम समझ लेना बेवफा मुझको, मै तुम्हे मगरूर मान लूँगा
ये वजह अच्छी होगी , एक दूसरे को भूल जाने के लिये
मेरे दर्द को भी आह का हक़ हैं,
जैसे तेरे हुस्न को निगाह का हक़ है
मुझे भी एक दिल दिया है भगवान ने
मुझ नादान को भी एक गुनाह का हक़ हैं
ईश्वर हर जगह नहीं हो सकते
इसलिए उन्होंने माँ को बनाया
तेरे रुखसार पर ढले हैं मेरी शाम के किस्से,
खामोशी से माँगी हुई मोहब्बत की दुआ हो तुम