उसके बाद हमने ना रखी किसी से मोहब्बत की आस, क्योकि एक तजुर्बा ही था हमारे लिए बहुत खास.
समझदार बनने की कोशिश में शरारत
भी खो बैठे
अब इस समझदारी में सबको साजिश नजर
आती है…
लगता है जैसे कोई खूबसूरत शाम है…देखा तो पाया आपकी हंसी का खुमार है…जो आज के दिन चॉकलेट की तरह…हवाओ में भी घुला प्यार की मिठास है…!
बोलो है कोई वकील ऐसा इस जहान में
जो हारा हुआ इश्क जीता सके मुझको
लगता है, मेरा खुदा मेहरबान है मुझ पर,
मेरी दुनीयाँ में आपकी मौजूदगी, यूँ ही तो नहीं.!