लफ्ज़ ही ऐसी चीज हैजिसकी वजह से इंसान , या तो दिल में उतर जाता है या दिल से उतर जाता है|
स्वयं को ऐसा बनाओ, जहाँ तुम हो, वहां तुम्हें सब प्यार करे,
जहाँ से तुम चले जाओ, वहां सब तुमें याद करें,
जहाँम पहुँचने वाले हो, वहां सब तुम्हारा इंतज़ार करें।
तुम मुझे कभी दिल, कभी आँखों से पुकारो ग़ालिब,
ये होठो का तकलुफ्फ़ तो ज़माने के लिए है|
बहोत अंदर तक जला देती है,वो शिकायतें जो बयाँ नही होती..
चुपके से आकर इस दिल में उतर जाते हो,सांसों में मेरी खुशबु बन के बिखर जाते हो,कुछ यूँ चला है तेरे ‘इश्क’ का जादू,सोते-जागते तुम ही तुम नज़र आते हो।