Waqt ki ek aadat
Bahut acchi hai,
Jaiha bhi ho,guzar jata hai.
सब कुछ झूठ है
लेकिन फिर भी बिलकुल सच्चा लगता है…
जानबूझकर धोखा खाना कितना अच्छा लगता है
ख़ुशियों की ख़ातिर हमने कितने क़र्ज़ उतार रक्खे हैं
ज़िंदगी फिर भी तूने हमपे कितने दर्द उतार रक्खे हैं
मासूम अगर होता तो सब मिलके लूट लेते
जाने किस अपने ने मेरे दुश्मन उतार रक्खे हैं
सब लुटाकर मिला दर्द ये,दर्द का मत दमन कीजिए,जो ये पतझर है जिन्दगी,प्राण ! उसको चमन कीजिए,किस तरफ पग बढ़ाकर चली,प्रेम-पथ पर गमन कीजिए....
Kitnaa khouf hota hai shaam ke andheroo mein,
Poonch un parindoo se jin ke ghar nahi hote.