जब जब आपके खास लोग दूर होने लगे तो समझ लीजिये उनकी जरूरते पूरी हो चुकी है|
मुझे नहीं पता ऊपर वाले ने
तकदीर में क्या लिखा है,
जब मुस्कुराते है मेरे पापा मुझे देख कर
समझ जाता हूँ कि मेरी तकदीर बुलंद है।
इश्क का होना भी लाजमी है शायरी के लिये..कलम लिखती तो दफ्तर का बाबू भी ग़ालिब होता।
ना गिन कर दिया
ना तोल कर दिया,
जब भी दिया
शेरोंवाली माँ ने,
दिल खोल कर दिया…
जय शेरोंवाली माँ
आज भी मेरी फरमाइशें कम नही होती,
तंगी के आलम में भी, पापा की आँखें कभी नम नहीं होती.