जब जब आपके खास लोग दूर होने लगे तो समझ लीजिये उनकी जरूरते पूरी हो चुकी है|
अमर वही इंसान होते हैं
जो दुनियां को कुछ देकर जाते हैं
अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए,
जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए|
खैरात में मिली ख़ुशी मुझे अच्छी नहीं लगती ग़ालिब,मैं अपने दुखों में रहता हु नवावो की तरह...
इश्क का होना भी लाजमी है शायरी के लिये..कलम लिखती तो दफ्तर का बाबू भी ग़ालिब होता।