जिन लड़कों की गर्लफ्रेंड नही होती,
वो जलन के मारे 14 फरवरी को डंडा लेकर “शिवसैनिक” बन जाते है
निगाहों की निगाहों से ज़रा सी बात हो जाएआज की रात ख़्वाबों की सुहानी रात हो जाएयूँ झटको ज़ुल्फ़ से पानी की फिर बरसात हो जाएज़रा चिलमन हटाओ दिन में फिर से रात हो जाए
खो गयी है मंजिले, मिट गए है सारे रस्ते,
सिर्फ गर्दिशे ही गर्दिशे, अब है मेरे वास्ते.
काश उसे चाहने का अरमान न होता,
मैं होश में रहते हुए अनजान न होता
न प्यार होता किसी पत्थर दिल से हमको,
या फिर कोई पत्थर दिल इंसान न होता.
कुछ यूँ उतर गए हो मेरी रग-रग में तुम,कि खुद से पहले एहसास तुम्हारा होता है।