बहोत अंदर तक जला देती है,वो शिकायतें जो बयाँ नही होती..
नहीं ‘मालूम ‘हसरत है या तू मेरी मोहब्बत है,बस इतना जानता हूं कि मुझको तेरी जरूरत है।
कैसे एक लफ्ज़ में बयां कर दूँ
दिल को किस बात ने उदास किया
यदि स्वयं में विश्वास करना और अधिक विस्तार से पढाया और अभ्यास कराया गया होता, तो मुझे यकीन है कि बुराइयों और दुःख का एक बहुत बड़ा हिस्सा गायब हो गया होता।