इश्क का होना भी लाजमी है शायरी के लिये..कलम लिखती तो दफ्तर का बाबू भी ग़ालिब होता।
लोगों ने कुछ दिया
तो सुनाया भी बहुत है,
हे माँ दुर्गे !
एक तेरा ही दर है
जहाँ मुझे कभी ताना नहीं मिला
बड़े ही चुपके से भेजा थामेरे महबूब ने मुझे एक गुलाबकम्बख्त उसकी खुशबू नेसारे शहर में हंगामा कर दियाHappy Rose Day
गुज़र गया वो वक़्त जब तेरे तलबगार थे हम.
अब खुद भी बन जाओ तो सजदा न करेंगे..!
कितने आंसू बहूँगा उस बेवफा के लिए
जिसको खुदा ने मेरे नसीब मैं लिखा ही नहीं….
समय और जिन्दगी
दुनिया के सर्वश्रेष्ठ
शिक्षक हैं,
जिन्दगी, समय का
सदुपयोग सिखाती
है और..
समय हमें जिन्दगी
की कीमत सिखाता
है ।
शुभ प्रभात