देखो, आहिस्ता चलो, और भी आहिस्ता ज़रादेखना, सोच-सँभल कर ज़रा पाँव रखना,ज़ोर से बज न उठे पैरों की आवाज़ कहीं.काँच के ख़्वाब हैं बिखरे हुए तन्हाई में,ख़्वाब टूटे न कोई, जाग न जाये देखो,जाग जायेगा कोई ख़्वाब तो मर जाएगा
क़सूर उनका नहीं,जो मुझसे दूरियाँ बना लेते है….
रिवाज है ज़माने में,पढ़ी किताबें ना पढ़ने का.....
तेरी यादों की कोई सरहद होती तो अच्छा था
खबर तो रहती….सफर तय कितना करना है
हम तो अकेले ही चले थे मंजिले सफर
लड़कियां मिलती रही शादियां होती गई।
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कबीर बेदी
Khuda Kare Tujhe Khushiyan Hazar MileMujhse Bhi Achchha Yaar Mile,Meri Girlfriend Tujhe Bandhe Rakhi,Tujhe Ek Aur Behan Ka Pyaar Mile...