वो तो अपना दर्द रो-रो कर सुनाते रहे,हमारी तन्हाइयों से भी आँख चुराते रहे,हमें ही मिल गया खिताब-ए-बेवफा क्योंकि,हम हर दर्द मुस्कुरा कर छुपाते रहे।
Tum Laut k anay ka takalluf mat
Karna,
Hum Ek mohabbat ko Do baar Nahi kartay…
बिखरे थे जो अल्फ़ाज इस कायनात मेंसमेंटा है उन्हें चंद पन्नों की किताब मेंअब दुआ नहीं मांगता बस पूंछता हुं खुदा सेअभी कितनी सांसे और हैं हिसाब में..??
Sadiya Guzar Gayi Kisi Ko Apna Bnane Me...
Magar Pal Bhi Na Laga Unhe Hamse Door Jane Me...
Hamen Taameer Ke Dhokhe Mein Rakhakar Hamaare Khvaab Chunavaaye Gae Hain