तेरे गम को अपनी रूह में उतार लूँ,जिन्दगी तेरी चाहत में सवार लूँ,मुलाकात हो तुझ से कुछ इस तरह,तमाम उमर बस इक मुलाकात में गुजार लूँ।
बात वफ़ाओ की होती, तो कभी न हारते,
बात नसीब की थी, कुछ ना कर सके।
गणेश जी का रूप निराला है,
चेहरा भी कितना भोला-भाला है,
जिसे भी आती है कोई मुसीबत,
उसे इन्ही ने तो संभाला है।
एक दिन सागर ने नदी से पुछा- कब तक मिलती रहोगी मुझ खारे पानी से।
नदी ने हस कर कहा – जब तक तुझमे मिठास न आ जाये।
दामाद 14 दिनों से ससुराल में था.
सास :- दामाद जी कब वापस जा रहे हो..दामाद :- क्योँ
सास :- बहुत दिन हो गये..दामाद :- आपकी बेटी तो छ: छ: महीने मेरे यहाँ रहती है..
सास :- वो तो वहाँ ब्याही गयी है..दामाद :- और मैं क्या यहाँ अपहरण करके लाया गया हूँ..