मौसम था बेकरार तुम्हें सोचते रहे,कल रात बार बार तुम्हें सोचते रहेबारिश हुई तो लग कर घर के दरवाजे से हमचुप चाप बेकरार तुम्हें सोचते रहे...
क्यों जिंदगी इस तरह तुम दूर हो गए
क्या बात है जो इस तरह मगरूर हो गए।
हम तरसते रहे तुम्हारा प्यार पाने को
बेवफा बनकर तुम तो मशहूर हो गए।।
क्यूँ शर्मिंदा करते हो रोज, हाल हमारा पूँछ कर..
हाल हमारा वही है, जो तुमने बना रखा है..
गुज़रते लम्हों में सदिया तलाश करता हूँ,
ये मेरी प्यास है नदिया तलाश करता हूँ.
यहाँ तो लोग गिनाते है खुबिया अपनी,
में अपने आप में खामिया तलाश करता हूँ….!!
प्यार किया था तो प्यार का अंजाम कहाँ मालूम था,
वफ़ा के बदले मिलेगी बेवफाई कहाँ मालूम था,
सोचा था तैर के पार कर लेंगे प्यार के दरिया को,
पर बीच दरिया मिल जायेगा भंवर कहाँ मालूम था..