गुरुर किस बात का साहबआज मिट्टी के ऊपर तो कल मिट्टी के नीचे
जिनका कद ऊँचा होता है
वो दूसरों से झुक कर ही बात करते हैं
जो बांधने से बंधे… और तोड़ने से टूट जाये…
उसका नाम है “बंधन”
जो अपने आप बन जाये… और जीवन भर ना टूटे…
उसका नाम है “संबंध”
Diye Hain Zindagi Ne Zaḳhm Aise;Ki Jin Ka Waqt Bhi Marham Nahin Hai!
हालात से ख़ौफ़ खा रहा हूँशीशे के महल बना रहा हूँ