लिख रहा हूं मैं अजांम जिसका कल आगाज आयेगा, मेरे लहू का हर एक कतरा इकंलाब लाऐगा ,मैं रहूँ या ना रहूँ पर ये वादा है तुमसे ,मेरा कि मेरे बाद वतन पर मरने वालों का सैलाब आयेगा|
Kuch nasha “TIRANGE” ki aan ka hai,
Kuch nasha “MATRA BHUMI” ki shan ka hai,
Hum lehrayenge har jagah ye “TIRANGE”,
Nasha ye hindustan ka hai....
वह अफसाना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा
Zamane bhar me milte hai aashiq kai,
Magar watan se khubsurat koi sanam nahi hota,
Sone ke kafan me lipat mare shashak kai,
Magar Tirange se khubsurat koi kafan nahi hota.
हम तो मज़ाक मे भी किसी को दर्द देने से डरते है ना जाने लोग कैसे सोच समझ कर दिलों से खेल जाते है|