कभी कभी मिटते नही, चंद लम्हों के फांसले एहसास अगर जिन्दा हो,मिट जाती है दूरियाँ.
तेरी नज़रों से ओझल हो जायेंगे हम ,दूर फ़िज़ाओं में कहीं खो जायेंगे हम ,हमारी यादों से लिपट कर रोते रहोगे ,जब ज़मीन की मट्टी में सो जायेंगे हम..
मुझको ढूंढ लेती है रोज़ एक नए बहाने से तेरी याद वाक़िफ़ हो गयी है मेरे हर ठिकाने से
ये कैसा अजब सा प्यार है जिस में ना मिलने की आस ना कोई तकरार है ..दूरियाँ इतनी की सही न जाएँ फिर भी निभाने की चाह बरक़रार है..
माना की दूरियां कुछ बढ़ सी गयीं हैं लेकिन तेरे हिस्से का वक़्त आज भी तनहा गुजरता है.