लगातार हो रही असफलताओं से निराश नहीं होना चाहिए,कभी कभी गुच्छे की आखरी चाबी ताला खोल देती है.
बात वफ़ाओ की होती, तो कभी न हारते,
बात नसीब की थी, कुछ ना कर सके।
घमंड ही नहीं गुरुर है अपने किसान होने का।
बढ़ रही हैं कीमते अनाज की,
पर हो न सकी विदा बेटी किसान की
चलती हुई “कहानियों” के जवाब तो बहुत है मेरे पास ….लेकिन खत्म हुए “किस्सों” की खामोशी ही बेहतर है.
अगर आप नेक इंसान हो और लोग आपको बुरा कहे तो चलेगा,
क्यूँकि यह इससे कही अच्छा है कि तुम बुरे हो और लोग तुम्हें अच्छा कहे.