जाने उस शख्स को कैसे ये हुनर आता है,रात होती है तो आँखों में उतर आता है,मैं उस के खयालो से बच के कहाँ जाऊं,वो मेरी सोच के हर रस्ते पे नजर आता है !
मेरी पलकों का अब नींद से कोई ताल्लुक नही रहा,मेरा कौन है ये सोचने में रात गुज़र जाती है…!!!
हमारी हर रात तम्हारे साथ हो,
ओर प्यार मोहब्बत की बात हो,
हम लेले तुम को बाँहों में अपनी,
फिर बताये तुम ही ज़िन्दगी तुम ही हमारी कैनाथ हो,
गुड नाईट डिअर…
जब खामोश आँखो से बात होती है,ऐसे ही मोहब्बत की शुरुआत होती है,तुम्हारे ही ख़यालो में खोए रहते हैं,पता नही कब दिन और कब रात होती है...
रात गुमसुम हैं मगर चाँद खामोश नहीं,कैसे कह दूँ फिर आज मुझे होश नहीं,ऐसे डूबा तेरी आँखों के गहराई में आज,हाथ में जाम हैं,मगर पिने का होश नहीं.