अब तो शायद ही मुझसे मुहब्बत करेगा कोई
तेरी तस्वीर जो मेरी आखों में साफ़ नजर आती है
Tu hasi chand kisi aur ka sahi
Par tu mere andhere ki roshni he…
ḳhud apne aap se lenā thā intiqām mujhemaiñ apne haath ke patthar se sañgsār huā
तो क्या हुआ जो आप नहीं मिलते हमसे.,मिला तो रब भी नहीं हमसे,पर इबादत कहां रुकी हमसे..
दूसरों की मानोगे तो मुझे
बुरा ही पाओगे, लेकिन
खुद मिलोगे तो वादा रहा,
मुस्कुरा कर जाओगे...!!