कुछ अल्फ़ाज़ की तरतीब से बनती है शायरी
कुछ चेहरे भी मुकम्मल ग़ज़ल हुआ करते हैं
संस्कारों से बड़ी कोई वसीयत नहीं होती
और ईमानदारी से बड़ी कोई विरासत नहीं होती
वफ़ा की ज़ंज़ीर से डर लगता है,कुछ अपनी तक़दीर से डर लगता है.जो मुझे तुझसे जुदा करती है,हाथ की उस लकीर से डर लगता है!
क्लास में आख़िरी बेन्च पर जो कुरेद कर तुम्हारा नाम लिखा था,
ज़िन्दगी की सब से लम्बी कहानी वही तो थी ….
अगर सरकार ताजमहल में गुटखा थूकने की मंजूरी दे दे... तो.... माँ कसम लोग उसे 5G की स्पीड से लालकिला बना देंगे...