अरमान ही बरसो तक जला करते है हमेशा ,
इंसान तो इक पल मे खाक हो जाता है !!
वो बेवफा हर बात पे देता है परिंदों की मिसाल,
साफ साफ नहीं कहता मेरा शहर छोड़ दो।
उलझा रही है मुझको,यही कश्मकश आजकल..!!तू आ बसी है मुझमें,या मैं तुझमें कहीं खो गया हूँ??
उलझा रही है मुझको,
यही कश्मकश आजकल..!!
तू आ बसी है मुझमें,
या मैं तुझमें कहीं खो गया हूँ??
नींद सोती रहती है हमारे बिस्तर पे,और हम टहलते रहते हैं तेरी यादों में।
तेरे गम को अपनी रूह में उतार लूँ,जिन्दगी तेरी चाहत में सवार लूँ,मुलाकात हो तुझ से कुछ इस तरह,तमाम उमर बस इक मुलाकात में गुजार लूँ।