बहुत मासूम होते है
ये आँसू भी
ये गिरते उनके लिए है
जिन्हे परवाह नहीं होती..
मैं कुछ लम्हा और तेरे साथ चाहता था;
आँखों में जो जम गयी वो बरसात चाहता था;
सुना हैं मुझे बहुत चाहती है वो मगर;
मैं उसकी जुबां से एक बार इज़हार चाहता था।
तू हमसफ़र तू हमडगर तू हमराज नजर आता है, मेरी अधूरी सी जिंदगी का ख्वाब नजर आता है, कैसी उदास है जिंदगी... बिन तेरे... हर लम्हा, मेरे हर लम्हे में तेरी मौजूदगी का अहसास नजर आता है।
तुमने कहा था आँख भर के देख लिया करो मुझे,
मगर अब आँख भर आती है तुम नजर नही आते हो।
Meri Dehleez Par Aa Ruki Hai MOHABBAT Ab Kya Karoon Tu Hi Bata Aye Mere Khuda…
Mehmaan Nawazi Ka Shoq Bhi Hai Aur Ujad Jane ka Khauf Bhi…..