कौन कहता है
सिर्फ नफरतों में ही दर्द है
कभी कभी बेपनाह मोहब्बत भी
बहुत दर्द देती है..
ग़म न कर ज़िन्दगी बहुत बड़ी है,
चाहत की महफ़िल तेरे लिए सजी है,
बस एक बार मुस्कुरा कर देख,
तक़दीर खुद तुझसे मिलने बाहर खुद खड़ी है…
तरस आता है मुझे अपनी मासूम सी पलकों पर,जब भीग कर कहती है की अब रोया नहीं जाता।
तेरी यादों की कोई सरहद होती तो अच्छा था
खबर तो रहती….सफर तय कितना करना है
बनकर तेरा साया तेरा साथ निभाउंगी,तु जहा जाएगा में वहाँ-वहाँ आऊँगी,साया तो छोर जाता है साथ अँधेरे में,लेकिन में अँधेरे में तेरा उजाला बन जाउंगी !!