Na Jane Kaise Parde Hai
Inke Kano Ke...
Jo Masoomo Ki Chikhe
Sun Pate Nahi...
Justice For Asifa
निगाहें नाज करती है फलक के आशियाने से,खुदा भी रूठ जाता है किसी का दिल दुखाने से।
हवा के साथ उड़ गया घर इस परिंदे का,
कैसे बना था घोसला वो तूफान क्या जाने !
जीत किसके लिए,हार किसके लिए,जिन्द गी भर यह तकरार किसके लिए,जो भी आया है वो जाऐगा एक दिन,फिर ये अहंकार किसके लिए।..
Palkon Ki Hadd Ko Tod Kar Daaman Pe Aa Giraa,
Ek Ashq Mere Sabar Ki Toheen Kar Gayaa.