मेरे-तेरे इश्क़ की छाँव में… जल-जलकर!
काला ना पड़ जाऊ कहीं !
तू मुझे हुस्न की धुप का
एक टुकड़ा दे…!
चेहरे पर हंसी छा जाती है,
आँखों में सुरूर आ जाता है,
जब तुम मुझे अपना कहते हो,
मुझे खुद पर गुरुर आ जाता है।
दिल की धडकने रुक सी गई हैं,
साँसे मेरी धम सी गई हैं.
पुछा हमने दिल के डाक्टर से.
तो पता चला सर्दी के कारण आपकी यादें.
दिल में जम सी गई हैं
दो हाथ से हम दस लोगों
को भी नही हरा सकते
परन्तु दो हाथ जोङ कर
हम करोङो लोगों का दिल जीत सकते है
शायर तो हम
“दिल” से है….
कमबख्त “दिमाग” ने
व्यापारी बना दिया.