फेर लेते हैं नज़र, दिल से भुला देते हैं,
क्या यूँ ही लोग वाफ़ाओं का सिला देते हैं,
वादा किया था फिर भी ना आए मज़ार पर,
हमने तो जान दी थी इसी ऐतबार पर!!
बदलना आता नहीं हमें मौसम की तरह,
हर इक रुत में तेरा इंतज़ार करते हैं,
ना तुम समझ सकोगे जिसे क़यामत तक,
कसम तुम्हारी तुम्हें इतना प्यार करते हैं।
सिर्फ इतना ही कहा है, प्यार है तुमसे,जज्बातों की कोई नुमाईश नहीं की,प्यार के बदले सिर्फ प्यार मांगती हूँ,रिश्ते की तो कोई गुज़ारिश ही नहीं की..
“आँखों से दूर दिल के करीब था,
में उस का वो मेरा नसीब था.
न कभी मिला न जुदा हुआ,
रिश्ता हम दोनों का कितना अजीब था.”
आ गया है फर्क तुम्हारी नजरों में यकीनन…
अब एक खास अंदाज़ से नजर अंदाज़ करते हो हमे…