जिन फूलों को संवारा था
हमने अपनी मोहब्बत से,
हुए खुशबू के काबिल तो
बस गैरों के लिए महके।
तेरे गम को अपनी रूह में उतार लूँ,जिन्दगी तेरी चाहत में सवार लूँ,मुलाकात हो तुझ से कुछ इस तरह,तमाम उमर बस इक मुलाकात में गुजार लूँ।
गलत सुना था कि
मोहब्बत आँखों से होती है,
दिल तो वो भी चुरा लेते हैं
जो पलकें नहीं उठाते!!
तेरे इश्क़ ने दिया सुकून इतना,
कि तेरे बाद कोई अच्छा न लगे,
तुझे करनी है बेवफाई तो इस अदा से कर,
कि तेरे बाद कोई बेवफ़ा न लगे।